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Dainik Bhaskar भास्कर अपडेट्स:ओवैसी ने गाजीपुर में मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि दी, कहा- इस मुश्किल घड़ी में उनके परिवार के साथ हूं

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गाजीपुर में मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि दी। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर कहा कि आज मैं मुख्तार अंसारी के घर गया और उनके परिवार को सांत्वना दी। इस मुश्किल घड़ी में हम उनके परिवार, समर्थकों और प्रियजनों के साथ खड़े हैं।

Dainik Bhaskar 10 हजार बच्चों को बालश्रम से निकालकर दी जिंदगी:माउंट किलिमंजारो से वर्ल्ड में मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कानून मांग, एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया

जिंदगी में कामयाबी पाने के लिए जिस इंसान में जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति होती है, वो बड़े से बड़े काम को लाख कठिनाइयों के बाद भी पूरा कर देता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कुशीनगर के रहने वाले 29 साल के सूर्य प्रताप मिश्र ने…। अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराकर उन्होंने कीर्तिमान रच दिया। असल में सूर्य सामाजिक कार्यकर्ता हैं। महिला तस्करी और बाल श्रम रोकने के लिए पिछले पांच साल इस काम से जुड़े हैं। अब तक करीब 10 हजार लोगों को मुक्त कराकर अच्छी जिंदगी दे चुके हैं। सूर्य दुनियाभर में महिला और बाल अपराध के खिलाफ सख्त नियम-कानून चाहते हैं। उनका मानना है सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने मोटिव दुनियाभर को संदेश देने का था। जिससे इन अपराधों पर लगाम लग सकें। उनका लक्ष्य उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना है, जो महिला तस्करी और बाल श्रम से जुड़ा है। दैनिक की 'नो निगेटिव मंडे' में आज कहानी सूर्य प्रताप की...जिन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचकर तिरंगा फहराया। वहां से दुनियाभर को महिला और बाल अपराध रोकने का संदेश दिया। आइए एक तरफ से जानते हैं... कुशीनगर के रहने वाले सूर्य प्रताप मिश्रा। पढ़ने में बचपन से होनहार थे। पिता महेंद्र प्रताप मिश्रा ने सैनिक स्कूल, लखनऊ में छठी क्लास से पढ़ने भेज दिया। यहां पर 12वीं तक पढ़ाई पूरी की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय सोशल वर्क में ग्रेजुएशन किया। शुरू से ही सामाजिक कामों में रुचि थी, तो ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट स्पेशलाइजेशन से लखनऊ यूनिवर्सिटी से MA पूरा किया। इसके बाद 2018 में राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी को मिले यूनिसेफ के साथ जुड़ गए। वहां पर करीब डेढ़ साल तक काम किया। मानव अधिकार संरक्षक के साथ जुड़ कर सामाजिक कार्य करने लगे। स्कूल में माउटेनिंग पर गए तभी कीर्तिमान रचने का मन बनाया सूर्य प्रताप मिश्र बताते हैं कि स्कूल में पढ़ने के दौरान 2009 में माउंटेनिंग के लिए भेजा गया। जहां से नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनिंग से एडवेंचर कोर्स किया। तब ही से मन में बना लिया कि जिंदगी में जब भी टाइम मिलेगा या कोई ऐसा मौका मिलेगा जिससे पूरी दुनिया का केंद्र आकर्षित किया जा सके, तो एवरेस्ट पर जाऊंगा। पिछले पांच साल से काम कर रहा हूं। जिससे अब तक 10 हजार बच्चों को पुलिस और एनजीओ के साथ मिलकर बाल

Dainik Bhaskar कॉमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम 32 रुपए तक घटे:इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदना हुआ महंगा, आज से हुए ये 6 बड़े बदलाव

आज यानी 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर 2024-25 शुरू हो गया है। यह नया साल अपने साथ कई सारे बदलाव लेकर आया है। आज से कॉमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम 32 रुपए तक घट गए हैं। वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इसके अलावा SBI ने डेबिट कार्ड की एनुअल मेंटेनेंस फीस में भी बढ़ोतरी की है। हम आपको ऐसे ही 6 बदलावों के बारे में बता रहे हैं, जिनका आप पर सीधा असर पड़ेगा... 1. कॉमर्शियल गैस सिलेंडर के दाम 32 रुपए तक घटे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आज से 19 किलो वाले कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम 32 रुपए तक घट गए हैं। दिल्ली में दाम अब 30.50 रुपए घटकर 1764.50 रुपए हो गए हैं। पहले ये 1795 रुपए में मिल रहा था। वहीं कोलकाता में सिलेंडर अब 32 रुपए घटकर 1879 रुपए में मिल रहा है। पहले इसके दाम 1911 रुपए थे। मुंबई में सिलेंडर 1749 रुपए से 31.50 रुपए कम हो कर 1717.50 का हो गया है। चेन्नई में सिलेंडर 1930 रुपए का मिल रहा है। हालांकि, 14.2 KG वाले घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली में यह ₹803, कोलकाता में ₹829, मुंबई में ₹802.50 और चेन्नई में ₹818.50 का मिल रहा है। 2. SBI डेबिट कार्ड के लिए देना होगा ज्यादा चार्ज SBI ने कुछ डेबिट कार्ड से जुड़े एनुअल मेंटेनेंस फीस में 75 रुपए बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के बाद क्लासिक-सिल्वर-ग्लोबल-कॉन्टेक्लैस डेबिट कार्ड के लिए 125 रुपए की जगह 200 रुपए सालाना फीस चुकानी होगी। इसमें GST अलग से जोड़ी जाएगी। 3. बिना KYC वाले फास्टैग हो जाएंगे बंद अगर आपने अपनी कार के फास्टैग की बैंक से KYC अपडेट नहीं कराई है वो आज से डीएक्टिव हो सकता है। इसके बाद फास्टैग में बैलेंस होने के बावजूद पेमेंट नहीं होगा। दोबारा इसे चालू करने के लिए आपको KYC अपडेट करानी होगी। 4. इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदना हुआ महंगा आज से इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदना महंगा हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME-II) के तहत मिलने वाली सब्सिडी बंद कर दी है। इस स्कीम के तहत 22,500 रुपए तक की सब्सिडी दी जाती थी। हालांकि, सरकार ने आज से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) शुरू की है। यह 31 जुलाई 2024 तक वैलिड रहेगी। नई योजना के तहत इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर 10,000 रुपए तक की सब्सिडी मिलेगी। वहीं थ्री व्ह

Dainik Bhaskar मुलायम-अखिलेश ने प्रचार किया, फिर भी डिंपल हार गईं:सपा के विरोध में सलमान खान प्रचार करने आए, रिजल्ट के बाद अमर सिंह बने थे विलेन

साल 2009...अखिलेश यादव दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़े। दोनों जीत गए। एक सीट छोड़नी थी, इसलिए फिरोजाबाद छोड़ दी। वहां से पत्नी डिंपल को चुनाव मैदान में उतारा। दूसरी तरफ कुछ दिन पहले ही पार्टी छोड़ने वाले राज बब्बर को कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बना दिया। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। सपा के साथ अमर सिंह थे। प्रचार में बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारे उतर आए। जुबानी जंग खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। यह सीट जीतना मुलायम सिंह के लिए नाक की बात हो गई। लेकिन नतीजे आए तो सब हैरान रह गए। डिंपल यादव अपना पहला चुनाव हार चुकी थीं। भास्कर की स्पेशल चुनावी सीरीज किस्सा में आज इसी चुनाव की बात करते हैं। जानते हैं कि कैसे अमर सिंह के एक बयान ने पासा पलट दिया और अखिलेश की जीती सीट पर डिंपल हार गईं? अखिलेश कन्नौज और फिरोजाबाद से चुनाव जीत गए 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज और फिरोजाबाद से चुनाव लड़े। कन्नौज में उन्होंने बसपा प्रत्याशी डॉ. महेश चंद्र वर्मा को 1 लाख 15 हजार वोटों से हराया। फिरोजाबाद में उस वक्त बसपा में रहे एसपी सिंह बघेल को 67 हजार वोटों से हराया। दो सीटों पर एक साथ सांसद रहने का नियम नहीं है। इसलिए अखिलेश को एक सीट छोड़नी थी। उन्होंने फिरोजाबाद सीट की सांसदी से इस्तीफा दे दिया। नवंबर 2009 में यहां उपचुनाव हुआ। सपा ने यहां डिंपल यादव को प्रत्याशी बना दिया। डिंपल का यह पहला चुनाव था। इससे पहले उन्होंने कभी मंच पर खड़े होकर भाषण नहीं दिया था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। सपा-कांग्रेस में गठबंधन था, लेकिन फिरोजाबाद सीट को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। कांग्रेस ने यहां बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर को प्रत्याशी बना दिया। राज बब्बर 2006 तक सपा में थे। उन्होंने अमर सिंह पर पार्टी में दलाली और फाइव स्टार संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसलिए सपा ने निकाल दिया था। उस वक्त अमर सिंह का सपा में दबदबा था। फिरोजाबाद में जब राज बब्बर प्रत्याशी बने तो डिंपल को जीत दिलाने की जिम्मेदारी अमर सिंह पर आ गई। नामांकन के बाद प्रचार शुरू हुआ। मुलायम सिंह, राम गोपाल यादव और अमर सिंह हर इलाके में पहुंचने लगे। हर किसी से मिलते और कहते कि पहली बार चुनाव में उतरी बहू डिंपल को जिताना है। अखिलेश ने तो फिरोजाबाद में कैंप कर लिया। दूसरी तरफ राज बब्बर के समर्थन में राहुल

Dainik Bhaskar यूपी में 16 हारी सीटों पर BJP का विनिंग प्लान:5 पर नए चेहरे, 7 सीटों पर हारे प्रत्याशी; मोदी समेत 10 बड़े नेताओं का फोकस

2019 लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा 16 सीटों पर चुनाव हार गई थी। 2024 में इन 16 सीटों पर जीत के लिए भाजपा ने स्पेशल स्ट्रैटजी बनाई है। 7 सीटों पर पिछले चुनाव में हार चुके प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। जबकि 5 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। इनमें से जिन 2 सीटों पर बसपा सांसद जीते थे, वह अब भाजपा जॉइन कर चुके हैं। यह 16 सीटें ओबीसी और दलित बाहुल्य हैं। इन पर प्रचार के लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, एसपी सिंह बघेल समेत 10 बड़े नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है। यही नहीं, यहां प्रत्याशियों के सिलेक्शन से लेकर प्रचार और ग्राउंड लेवल पर वर्किंग के लिए स्पेशल प्लान बनाया है। BJP के इस प्लान को समझेंगे। लेकिन, पहले देखते हैं 2019 में भाजपा की हारी हुई सीटें कौन सी थीं... 2019 चुनाव में भाजपा पूर्वांचल की 6 सीटों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर चुनाव हारी थी। इनमें 2 सीटें ऐसी भी थीं जिन पर जीत-हार का अंतर 30 हजार से कम था। जबकि 6 सीटों पर 1 लाख वोटों से कम के अंतर पर हार-जीत हुई थी। अब 4 प्वाइंट्स में भाजपा का विनिंग प्लान... 1- प्रत्याशियों का सिलेक्शन: 2019 के मुकाबले 2 सवर्ण प्रत्याशी कम उतारे भाजपा ने 16 सीटों पर प्रत्याशियों के सिलेक्शन में जातीय समीकरण का ध्यान रखा है। अभी तक घोषित प्रत्याशियों में 5 सवर्ण, 6 ओबीसी और 2 दलित हैं। जबकि 2019 में 7 सीटों पर सवर्ण प्रत्याशियों को मौका दिया था। यानी, इस बार 2 सवर्ण प्रत्याशी कम हुए हैं। अंबेडकर नगर सीट से भाजपा ने बसपा के सांसद रहे रितेश पांडेय को टिकट दिया है। भाजपा जॉइन करने के 5 दिन बाद ही उनको टिकट मिल गया। यही नहीं, जिन 3 सीटों पर भाजपा को चुनौती मिल सकती है। वहां अभी तक समीकरण का एनालिसिस किया जा रहा है। इन सीटों में गांधी परिवार का गढ़ रायबरेली, अखिलेश के प्रभाव वाली मैनपुरी और मुख्तार अंसारी के वर्चस्व वाली गाजीपुर सीट है। देखिए पिछले चुनाव में हारी 16 सीटों पर भाजपा ने किसे प्रत्याशी बनाया... 2- संगठन लेवल पर फोकस: एक साल में सीएम योगी के 70 से अधिक दौरे हारी हुई 16 सीटों पर जीत के लिए भाजपा करीब एक साल से काम कर रही है। सीएम योगी इन 16 सीटों पर एक साल में करीब 70 से अधिक दौरे कर चुके हैं। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इन सीटों पर फोकस है। यही वजह है कि लोकसभा उपचुनाव में भले ही भाजपा